राजनीति का बाजार गरमाने लगा है तो कृपया आपसी संबंध खराब ना करें। अगर आपका कोई साथी राजनैतिक दृष्टिकोण से आपसे अलग विचारधारा रखता है तो इसका कत्तई ये मतलब नही कि वो आपसे विद्रोह रखता है।
मुसीबत में सिर्फ दोस्त और रिश्तेदार ही काम आते है कोई नेता नहीं। इसलिए राजनीति पर बहस करके अपने दोस्ताना ताल्लुकात खराब ना करें, ऐसा ना हो कि आप तर्क वितर्क में तो जीत जाएं और आपसी संबंध मेे हार जाए।
क्योंकि चुनाव तो हर पांच साल में आ जाते हैं लेकिन दोस्त और रिश्तेदार सिर्फ एक बार मिलते हैं।
क्योंकि चुनाव तो हर पांच साल में आ जाते हैं लेकिन दोस्त और रिश्तेदार सिर्फ एक बार मिलते हैं।
राजपूत,जाट, गुर्जर, मेघवाल ,कुमावत, खाती ,यादव , ब्राह्मण भील या मुसलमान या अन्य कोई भी जाति का परिवार अगर आपके पड़ोस में रहता है। तो कोई अप्रिय घटना होने पर सबसे पहले आपकी तत्काल मदद के लिए वही पहुँचेगा,
ना कि राहुल गांधी ,नरेंद्र मोदी, हनुमान बैनीवाल, ममता, माया ,मुलायम
इसलिए राजनीति में किसी भी अप्रिय शब्दों या भावनाओ से एक दूसरे को कष्ट ना पहुचाये और राजनीति में आपसी संबंध को खराब न करे। सबके विचार एक जैसे नही होते लेकिन इसका मतलब ये नही कि हम नेताओ के चक्कर मे एक दूसरे का सम्मान भूल जाये। ये मेरा अपना व्यक्तिगत विचार है। बाकी संसार का हर व्यक्ति समझदार है।….
एक जागरूक नागरिक
एक जागरूक नागरिक
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