लाचार प्रशासन के कारण आज जो स्थिति बनी हुई अत्यधिक दयनीय है
कुछ समय पहले बुलंदशहर में शियाना थाना क्षेत्र गांव गांव के जंगलों में गोवंश के अवशेष मिलने पर 3 दिसंबर 2018 में उपद्रव हो गया था कोतवाल सुबोध कुमार सिंह घटनास्थल पर सिपाहियों के साथ पहुंचे थे वहां तभी भीड़ ने उन पर हमला कर दिया इस हमले में कोतवाल सुबोध कुमार और एक नागरिक की गोली लगने से मौत हो गई यह निंदनीय है
अराजक तत्वों द्वारा किए जाने वाले इस प्रकार के निंदनीय कृत्य को उत्तर प्रदेश में कई बार दोहराया जा चुका है लेकिन इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए प्रशासन ने कोई ठोस नीति नहीं बनाई केवल यूपी में ही नहीं पुलिस वालों की मौत हुई है यह पूरे देश की समस्या है विपत्ति में पुलिस वाले को एकजुट रहना चाहिए और उसका हल निकालना चाहिए ना कि सुबोध कुमार की तरह छोड़ कर भाग जाना चाहिए था इस घटना ने पुलिस की कार्यशैली आचरण पर प्रसन्न चिन्ह लगा दिया है
अराजक तत्व समाज में नफरत प्रदेश में अर्थव्यवस्था फैलाते हैं प्रतिबंध के बावजूद कई जिलों में अवैध रूप से गोवंश की तस्करी के समाचार आते रहते हैं जबकि उत्तर प्रदेश में सत्ता संभालते ही अवैध बूचड़खाना पर प्रतिबंध लगा दिया था
खुले स्थानों पर किसी भी पशु के पद पर यह उस के काटने पर रोक लगा दी गई थी इसके बावजूद सबसे चिंतनीय बात यह है कि गोवंश वध के प्रतिबंध के बावजूद अराजक तत्व इन को काट कर ना केवल ही कानून को चुनौती देते हैं बल्कि एक नेगेटिव माहौल फैलाते हैं जो अपने प्रशासन द्वारा की गई थी उसका नतीजा होता है
ऐसे में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए तथा उनको सस्पेंड कर देना चाहिए पुलिस को अपने आचरण से जनता के अंदर अपने मानवीय सभी बनाने चाहिए विपत्ति के समय बचाने से जो बात होती वह शायद किसी अन्य मैं नहीं इससे हमारे सामाजिक संस्कारों को चोट पहुंचती हमारे सामाजिक संस्थाओं को बचाना होगा